डॉ। सुरेश त्रिपाठी एस्ट्रो इंडस्ट्री में एक स्टॉप डेस्टिनेशन ग्राहकों को बहुमूल्य ज्योतिष सेवाएं प्रदान करते हैं। यह सेवाएं ज्योतिष सेवा, कुंडली भविष्यवाणी, संख्या विज्ञान सेवा, कैरियर पूर्वानुमान, विवाह पूर्वानुमान, स्वास्थ्य पूर्वानुमान, उपचारात्मक ज्योतिष, राशि भविष्यफल, रत्न हीलिंग और वास्तु परामर्श जैसे क्षेत्रों में उपलब्ध हैं। हम उच्च गुणवत्ता वाले रत्न स्टोन्स और प्रभावी वैदिक यंत्र के साथ अपने ग्राहकों की आपूर्ति भी करते हैं। हम खुद को एक ऐसी कंपनी के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जिसका नाम दूर-दूर तक अपनी विश्वसनीय ज्योतिष सेवाओं और उच्च गुणवत्ता वाले आध्यात्मिक उत्पादों के लिए जाना जाता है।.
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आज, वह सर्वोच्च वास्तु कंसल्टेंट्स के बीच में है। एस्ट्रो विशेषज्ञों द्वारा दी गई हमारी सेवाओं के माध्यम से, हम व्यक्तियों के जीवन में बड़े बदलाव लाए हैं। अपनी सटीक और सटीक भविष्यवाणियों के साथ, हमने बड़ी संख्या में सम्मानित ग्राहकों का दिल जीत लिया है। हमारा प्रमुख मकसद ग्राहकों की सकारात्मक ऊर्जा को एक सामंजस्यपूर्ण विकास और सफल जीवन के लिए सिंक्रनाइज़ करना है।
ज्योतिष शाखा सभी शास्त्रों का नेत्र है ज्योतिष को शास्त्रों में सभी धर्मशास्त्रों का नेत्र माना गया है और यह एक खगोलीय गणित है जिसमे सूर्य सिषटान्त अति उत्तम ग्रन्थ है जिसमे समस्त गणित एव फलित बिचार किया जाता है ज्योतिष शाखा को शास्त्रों में दैवव्य भी कहा जाता है (जिसका अर्थ है जो देवताओ की गति को जान ले ) ज्योतिष शास्त्र में ब्रह्माण्ड में होने वाली तमाम छोटी बङी खगोलीय घटनाओ का अति सूक्ष्म गति तक की गणना करना ज्योतिष शास्त्रों में वर्णित है ज्योतिष शास्त्र कुंडली मुहूर्त या पंचांग तक सिमित नहीं है ज्योतिष में नाना प्रकार की उप्ल्भद्ता का बिचार उल्लेखित है
आज वास्तु की पचिलिता अधिकाधिक है लेकिन ऐसा नहीं है की वास्तु शास्त्र कोई नया विषय है वास्तु के विषय में अनादिक काल से शास्त्रों में उल्लेखित है ऋग्वेद के अठरहवे सर्ग में वैदिक वास्तु के विषय में तमाम प्रमाण है वास्तु शास्त्र अति प्राचीन शिल्पी शास्त्र है मानसार नामक ग्रन्थ में वैदिक वास्तु से सम्बंदित अधिकाधिक भवन एव औधोगिक प्रतिष्ठान आदि का मार्ग दर्शन है
वास्तु शास्त्र २ प्रकार की शैली पर आधारित है
१-नागर शैली
२- द्रोण शैली
जिसमे भवन औधोगिक मंदिर आदि तमाम प्रतिष्ठानों को भवनों बनाने का विषय संगत मार्ग दर्शाया गया है वश्तु शास्त्र के अति प्राचीन ग्रन्थ जैसे समरागण सूत्र धार मैमत विश्कर्मा शिल्प शास्त्र वास्तु रत्नाकर आदि प्राचीन ग्रन्थ उल्लेखित है